अनुभूति में
डॉ.
कृष्ण कन्हैया की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
कटिबद्धता
कालजयी
दूरगामी सच
झाँवा पत्थर
प्रमाणिकता
अंजुमन में-
कहने सुनने की आदत
क्षण-क्षण बदलाव
जिन्दगी मुश्किल मेरी थी
यादें
छंदमुक्त में-
अतिक्रमण
आयाम
उम्दा
एहसान
किताब ज़िंदगी की
खाई
खुशी
चरित्र
छाया
जिन्दगी का गणित
जिन्दगी की दौड़
रेशमी कीड़ा
रात
ललक
वस्त्र
विचार
विवेक
वैमनस्य
सामीप्य
सौदा
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दूरगामी सच
छंद-क्षणिकाओं में
जीने वाले लोग
क्षणिक, तत्पर
बातों का मूल्य
ज़्यादा देतें हैं
दूरगामी परिणाम से
अक्सर अनभिज्ञ रहते हैं
स्थिर वर्तमान में
जीने को ही
सबकुछ कहते हैं
क्योंकि,
हासिल के तराज़ू में
भविष्य का वज़न
हाशिये में रखना
उनका काम है-
और आगामी सोच पर
बनाई गयी ख़ास नीति
उनके लिये
दूर का परिणाम है
वो क्या जानें कि-
क्षणिक लाभ की
अस्थाई उपलब्धि
सुनहरे भविष्य के
काँधे पर
अरथी की तरह
कभी नहीं उठाई जाती !
१६ जुलाई २०१२ |