अनुभूति में
डॉ.
कृष्ण कन्हैया की रचनाएँ-
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जिन्दगी मुश्किल मेरी थी
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सौदा
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झाँवा पत्थर
पाँच रुपये का
जादुई झाँवा पत्थर
खुरच कर
उतार देता है-
सारा मैल
तन का
पर
उतार नहीं पाता
एक भी परत
मन की
तलाश है हमें
उस पत्थर की
जो
उतार पाये
मन का मैल,
खरोंच लाये
अंदर की व्यथा
जिसके कटोरे में
बसी हो
गंगा की निर्मलता,
और छलछलाता हो
सच्ची निश्छलता
चाहे क्यूँ न
जिगर
लहूलुहान कर दे
जिस्म पर
निशान कर दे
१६ जुलाई २०१२
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