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चरित्र

चरित्र-
सतयुग का यथार्थ
त्रेतायुग की विचारधारा
और
द्वापरयुग का परिपेक्ष नहीं
बल्कि-
कलियुग का भी
निर्धारित मापदण्ड है
जो यह सुनिश्चित करता है
कि-
यह आदर्श
और आंतरिक ताक़त,
दूसरों के लिए
आईना बने
जिसमें
आदर्श का
प्रतिबिम्ब भव्य लगे
और
सबका चेहरा
साफ-साफ दिखे ।

२६ मार्च २०१२

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