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जीतना मुश्किल नहीं |
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जीतना मुश्किल नहीं
बस हारने मन को न देना
कह रही उम्मीद सुन लो
रात ही लाती सवेरे
ज्यों तिमिर की शाख पर ही
जुगनुओं के हैं बसेरे
आँधियों से लड़ रहें जो
दीपकों से सीख लेना
1
चल पड़े जो कर्म-पथ पर
साथ होती सब दिशायें
हमक़दम बन चल पड़ेंगी
संग कितनी ही दुआयें
राह भी आसान होती
गर विषमता से डरे ना
1
हो समय प्रतिकूल तो क्या
ज़िन्दगी अवसर कई दे
बन्द दरवाज़े सभी जब,
खोल खिड़की इक नयी दे
है सफ़र नाकामियों का
सब्र का दामन छुटे ना
1
- आभा खरे |
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इस माह
गीतों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त में-
दिशांतर में-
छोटे छंदों में-
विगत माह
फुलझड़ी विशेषांक
में
गीतों में-
आकुल, अजय पाठक,
अनामिका
सिंह,
अशोक
रक्ताले फणीन्द्र,
आचार्य
श्रीधर शील,
नितिन
उपाध्ये,
पद्मा मिश्रा,
पुष्पलता शर्मा,
पूर्णिमा
वर्मन,
मंजुलता
श्रीवस्तव,
मनोज जैन
मधुर,
मधु प्रधान,
मधु शुक्ला,
मधु संधु,
मीरा ठाकुर,
रंजना
गुप्ता,
राकेश
खंडेलवाल,
विश्वम्भर शुक्ल,
शंभु शरण मंडल,
शशि पाधा,
सुरेन्द्रपाल वैद्य,
हरिहर झा।
अंजुमन मे-
अनिल
कुमार वर्मा कौशल,
आभा सक्सेना दूनवी,
आरती लोकेश,
उमा प्रसाद
लोधी,
कृष्ण तिवारी,
परमजीत कौर
रीत।
दोहों में-
कुमार गौरव अजीतेन्दु,
कृष्ण कुमार तिवारी,
ज्योतिर्मयी
पंत,
दिगंबर नसवा,
पारुल तोमर,
मंजु गुप्ता
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