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       हँसती फुलझड़ियाँ


झिलमिल-झिलमिल दीपों के संग
हैं झालर लड़ियाँ
सबके बीच झूम कर खिलतीं
हँसती फुलझड़ियाँ

धीरे-धीरे खुशियों की आहट फिर से आई
होने वाली है घर में सपनों की पहुनाई

गेंदे पर आई बहार है
चटक रहीं कलियाँ
सबके बीच झूम कर खिलतीं
हँसती फुलझड़ियाँ

ऐपन थापे लगा द्वार पर रच दी रंगोली
मैना तोते के कानों में चुपके से बोली

चुन-चुन कर मन जोड़ रहा
है सुधियों की कड़ियाँ
सबके बीच झूम कर खिलती
हँसती फुलझड़ियाँ

साँझ सुहानी लाई स्वर्णिम किरणों का मेला
काट रहा है तिमिर जाल को दीपकअलबेला

मावस ने बाँटी हैं सबको
सोने की छड़ियाँ
सबके बीच झूम कर खिलतीं
हँसती फुलझड़ियाँ

- मधु प्रधान
१ अक्टूबर २०२२

       

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