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         सोना चाँदी जड़ी फुलझड़ी


सोना चाँदी जड़ी फुलझड़ी
सबको प्यारी बड़ी
फुलझड़ी
1
दुबली पतली उसकी काया
साहस से पर जग भरमाया
हर उत्सव की आनी बानी
हार कभी नहिं उसने मानी
1
गहरा बहुत अँधेरा था पर
अँधियारे से लड़ी
फुलझड़ी
1
कभी घूमती बच्चों के संग
कभी बड़ों का साथ निभाती
अगर-मगर से दूर, सभी को
जगर-मगर का मंत्र सिखाती
1
रंग बिखेरे खुशियाँ घेरे
अँगनारे में खड़ी
फुलझड़ी
1
उसका हँसना सबको भाया
उसने बड़का जीवट पाया
सबके संग हिलमिल कर बाँटी
उसने उजियारे की माया
11
खुशियों का आगार थी फिर भी
झट से क्यों बुझ गयी
फुलझड़ी
1
- पूर्णिमा वर्मन

१ अक्टूबर २०२२

       

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