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आँगन फुलझड़ियाँ सजें |
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दीवाली का पर्व है,
घर घर हुआ उजास।
फुलझड़ियाँ बिखरा रहीं, बच्चों में उल्लास।।
जग मग दीपक कर रहे, द्वार मुंडेर प्रकाश
आँगन फुलझड़ियाँ सजें, उज्ज्वल भू आकाश।।
फुलझड़ियाँ ऐसे जलीं, ज्यों बच्चों में हास।
रंग सितारे से झरें, जगमग है आकाश।।
बच्चों बूढ़ों को हुआ, फुलझड़ियों से प्यार।
शोर शराबे के बिना, मिलती खुशी अपार।।
तोरण बंदनवार से, सजे धजे हैं द्वार।
फुलझड़ियों के हास से,फैली खुशी अपार।।
माटी के दीपक करें जग मग चारों ओर।
फुलझड़ियाँ जलती रहें करें न कोई शोर।।
रॉकेट चक्र पटाखे,रंग बिरंग अनार।
आतिशबाजी के विविध,दीवाली उपहार।।
बच्चों की किलकारियाँ, गूँजें घर चौबार।
रोशन रंग बिखेरते, खुशियों के अंबार।।
- ज्योतिर्मयी पंत
१ अक्टूबर २०२२ |
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