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      फुलझड़ी-से जले


फुलझड़ी से जले झर गए
विश्व में नाम जो कर गए

राष्ट्र की अस्मिता के लिए
प्राण अपने हवन कर गए

बस किनारों से ताका किये
उठती लहरों से जो डर गए

रोशनी जुगनुओं ने भी की
किन्तु दीपक से घर भर गए

आँख में थे सँजोये कभी
स्वप्न गजलों में अब ढर गए

सिर्फ "कौशल" के जज्बात सुन
आप क्यों चढ़ शिखर पर गए

- अनिल कुमार वर्मा "कौशल'
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१ अक्टूबर २०२२

       

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