बृजनाथ श्रीवास्तव
जन्म- १५ अप्रैल १९५३ को ग्राम-
भैनगाँव,जनपद- हरदोई (उ.प्र.) में।
शिक्षा- एम.ए. (भूगोल)
प्रकाशित कृतियाँ-
नवगीत संग्रह- दस्तखत पलाश के, रथ इधर मोड़िये
सहित्येतर स्नातकोत्तर कक्षाओं हेतु- व्यावहारिक भूगोल, उत्तरी
अमेरिका का भूगोल, जलवायु विज्ञान। इसके अतिरिक्त देश के अनेक
प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में गीत, नवगीत, दोहे प्रकाशित
सम्प्रति-
भारतीय रिजर्व बैंक के प्रबन्धक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद
स्नातकोत्तर महाविद्यालय मे भूगोल का प्राध्यापन, पठन, पाठन,
लेखन एवं पर्यटन
ईमेल- sribnath@gmail.com
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अनुभूति में
बृजनाथ श्रीवास्तव
की रचनाएँ-
नये गीतों में-
अन्धी सुरंगों में
अरी निदाघे
जेठ का महीना
दादी की अब आँख भरी
हम कहाँ कहाँ चूके
छंदमुक्त में-
कवि नहीं हो सकते
नौकरीशुदा औरतें
मार्गदर्शक
मेरे लिए कलम
रोटी
गीतों में-
अलकापुरी की नींद टूटे
इसी शहर मे खोया
गंध बाँटते डोलो
पहले
जैसा
प्रेमचंद जी
बुलबुल के घर
ये शहर तो
सगुनपंछी
सुनो
राजन
होंठ होंठ मुस्काएँगे
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