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       चमचमाती फुलझड़ी


सुंदरी के ज्यों मुकुट सी चमचमाती फुलझड़ी
टिमटिमाते कुछ सितारों को सताती फुलझड़ी

दीप सी जगमग सजी कंदील पर लटके हुए
चर्खी, राकेट कुछ अनारों को जलाती फुलझड़ी

लक्ष्मी पूजन का समय है, चाँदी के सिक्के रखे
मोल उनका वह न जाने, मुस्कुराती फुलझड़ी

खील और कुछ कुछ बताशे साथ में मिष्ठान्न है,
चख के झट आँगन में आए, ले न कोई फुलझड़ी

लहँगा-चुनरी सब पहन कर यूँ ही इठलाते फिरें
पर सभी को खिलखिला कर है घुमाती फुलझड़ी

पास घेरा डालती हैं अल्पनाएँ दीप की
शहर की जो फुलझड़ी है, वह जलाती फुलझड़ी

रंग-बिरंगी बिजली कड़के, सब ठिठक कर देखते
फूल झरते हैं हँसी के झिलमिलाती फुलझड़ी

देख मुनिया को अकेला, मुँह में लड्डू ठूँस कर
अपनी गोदी में उठा कर वह थमाती फुलझड़ी

- डॉ. आरती लोकेश
१ अक्टूबर २०२२

       

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