|
धुआँ धुआँ
धुआँ धुआँ होती व्याकुलता
प्रेम राग के गीत सुनाओ
सपनों की मनहर वादी है
पलक बंद कर ख्वाब सजाओ
लोगों की आदत होती है
दुनियाँ के परपंच बताना
प्रेम, त्याग अब बिसरी बातें
नया रंग है, नया जमाना।
घायल होते संवेदन को
निजता का इक पाठ पढ़ाओ।
धुआँ धुआँ होती व्याकुलता
प्रेम राग के गीत सुनाओ
दूर देश में हुआ बसेरा
आँखों में कटती थीं रातें
कहीं उजेरा, कहीं चाँदनी
चुपके से करती है बातें
जिजीविषा, जलती पगडण्डी
तपते कदमों को सहलाओ
धुआँ धुआँ होती व्याकुलता
प्रेम राग के गीत सुनाओ
ममता, करुणा और अहिंसा
भूल गया जग मीठी वाणी
आक्रोशों की नदियाँ बहतीं
हिंसा की बंदूकें तानी
झुलस रहा है मन वैशाली
भावों पर अब काबू पाओ
धुआँ धुआँ होती व्याकुलता
प्रेम राग के गीत सुनाओ
१ मार्च २०१६
|