प्रिय
हस्ताक्षर
नित हिंदी के पाँव पखारो
हे प्रिय हस्ताक्षर,
बिखरें, जग के हर कोने में
उसके स्वर्णाक्षर
सरस-सुगम, उन्नत ये भाषा
संस्कृति की बानी है
अंग्रेजी की सर्द धरा पर
ये, अनुसंधानी है
ज्ञान ज्योति की अलख जगाते
हिंदी अंत्याक्षर
नित हिंदी के पाँव पखारो
हे प्रिय हस्ताक्षर
गरिमामयी, हिन्द की रोली
रंगो को अपनाएँ
मनमोहक शब्दों के मोती
मिल प्रतिबिम्ब बनाएँ
गीत-गजल औ छंद-विधाएँ
हिंदी अमृताक्षर
नित हिंदी के पाँव पखारो
हे प्रिय हस्ताक्षर
हिंदी का सत्कार करें, हो
जन जन की अभिलाषा
गाँव-शहर हर आँगन के
सँग, बने राष्ट्र की भाषा
सीना तान, गर्व से बोलें
हम हिंदी साक्षर
नित हिंदी के पाँव पखारो
हे प्रिय हस्ताक्षर
-- शशि पुरवार
८ सितंबर २०१४
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