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दीप धरो
वर्ष २०११ का दीपावली संकलन

दीवाली हाइकु

हँसते दीप
आतिशी हुई शाम
सजे रंगोली

पाँत दीपों की,
लडतीं हैं तम से,
हँस हँस के

फूल चाँदी के,
बिखेरती जाती हैं
फुलझडियाँ

पहन आयी,
तारों भरी चूनर,
ज्योतित धरा

- अरविंद चौहान
 

डोले प्रकाश
लिये कंदील साथ-साथ
मनमुदित

पटाखों संग
असावधानी घात
ऐहतिहात !

प्रियजनों को
अनमोल सौगात
शुभाशीर्वाद

रिश्तों में
स्नेह की है मिठास
बेहद खास !

- शशि पुरवार

 


आई दीवाली
झूमे मन मयूर
छाई रोशनी

       - मीरा ठाकुर

रोशनी का पर्व
कहाँ खो गया दर्प
झूमें हैं सब

२४ अक्तूबर २०११

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