१
भारत को कहते थे
सोने की चिड़िया
सुख चैन से रहते थे।
२
गोरों को भाया था
माता का आँचल
वो लूटने आया था
३
हमें याद हो कुर्बानी
वीरों की गाथा
वो जोश भरी बानी।
४
कैसी आजादी थी
भू का बँटवारा
माँ की बर्बादी थी।
५
सरहद पे रहते हैं
उनका दुख पूछो
वो क्या क्या सहते हैं।
६
घर की तो याद आती
प्रेम भरी पाती
उन तक न पहुँच पाती।
७
बतलाऊँ कैसे मैं
सबकी चिंता है
घर आऊँ कैसे मैं?
८
हैं घात भरी रातें
बैरी करते हैं
गोली की बरसातें।
९
आजादी मन भाये
कितनी बहनों के
पति लौट नहीं पाये।
१०
ये प्रेम भरी बोली
दुश्मन क्या जाने
खेले खूनी होली
-शशि पुरवार
१२ अगस्त २०१३
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