बिटिया आई
झरे हरसिंगार
घर मंदिर
-शशिकांत गीते
बिखरे सपने
जमीन पर जैसे
हरसिंगार।
-राजेन्द्र कांडपाल
हरसिंगार
महके एक रात
प्रसन्नचित्त
-इंदुबाला सिंह
हार सिंगार
सूर्य ने छीन लिया
राजसी ठाठ
-नवल किशोर नवल
चाँदनी आई
शैफाली को ओढ़ाई
श्वेत चूनर
सफ़ेद चोला
ओढ़ हरसिंगार
खिला - महका
-सरस्वती माथुर
शिव के प्रिय
खिले रात्रि प्रहर
हरसिंगार
लजा सूर्य से
झर झर झरते
हरसिंगार
- भावना सक्सैना
हरसिंगार
पहन कर्णफूल
सजी रजनी
- सुशीला
शिवराण
श्वेत चाँदनी
धरा की चुनरिया
झरे प्राजक्त
-शशि पुरवार
अँधेरी रात
सुगंध सौन्दर्य फैले
जगाती आस
-ज्योतिर्मयी पंत
१८ जून २०१२ |