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शशि पुरवार के हाइकु

 

 

 

हाइकु


मृदा ही सींचे
पल्लवित ये बीज
मेरा ही अंश।


माटी को थामे
पवन में झूमती
है कोमलांगी।
 

ले अंगडाई
बीजों से निकलते
नवपत्रक .


प्रफुल्लित है
ये नन्हे प्यारे पौधे
छूना न मुझे


ये हरी भरी
झूमती है फसलें
लहकती सी।


तप्त धरती
सब बीजों को मिला
नव जीवन ।

 


बीजों से झांके
बेक़रार पृकृति
थाम लो मुझे


मुस्कुराती है
ये नन्ही सी कालिया
तोड़ो न मुझे।


पत्रों पे बैठे
बारिश के मनके
जड़ा है हीरा।

१०
हवा के संग
खेलती ये लताएँ
पुलकित है

११
संग खेलते
ऊँचे होते पादप
छू लें आसमां

१८ नवंबर २०१३

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