शशि पुरवार
के हाइकु
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हाइकु
१
मृदा ही सींचे
पल्लवित ये बीज
मेरा ही अंश।
२
माटी को थामे
पवन में झूमती
है कोमलांगी।
३
ले अंगडाई
बीजों से निकलते
नवपत्रक .
४
प्रफुल्लित है
ये नन्हे प्यारे पौधे
छूना न मुझे
५
ये हरी भरी
झूमती है फसलें
लहकती सी।
६
तप्त धरती
सब बीजों को मिला
नव जीवन ।
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७
बीजों से झांके
बेक़रार पृकृति
थाम लो मुझे
८
मुस्कुराती है
ये नन्ही सी कालिया
तोड़ो न मुझे।
९
पत्रों पे बैठे
बारिश के मनके
जड़ा है हीरा।
१०
हवा के संग
खेलती ये लताएँ
पुलकित है
११
संग खेलते
ऊँचे होते पादप
छू लें आसमां
१८ नवंबर २०१३ |