पावन धरणी राम की

 

पावन धरणी राम की, जिसपे सबको नाज
घूम रहे पापी कई, भेष बदलकर आज
भेष बदलकर आज, नार को छेड़ें सारे
श्वेत रंग पोशाक, कर्म करते हैं कारे
नाम भजो श्री राम, नाम है अति मनभावन
होगा सकल निदान, राम की धरणी पावन



मानव सारे लीन हैं, राम लला की लूट
भक्ति भाव के प्रेम में, शबरी को भी छूट
शबरी को भी छूट, बेर भी झूठे खाये
दुःख का किया विनाश, हृदय में राम समाये
रघुपति हैं आदर्श, भक्त हैं प्रभु को प्यारे
राम कथा, गुणगान, करें ये मानव सारे



रघुपति जन्मे भूमि पे, खास ये त्यौहार
राम कथा को फिर मिला, वेदों में विस्तार
वेदों में विस्तार, राम की लीला न्यारी
कहते वेद पुरान, नदी की महिमा भारी
निर्गुण सगुन समान, प्रजा के प्यारे दलपति
श्री हरि के अवतार, भूमि पर जन्मे रघुपति



सारे वैभव त्याग के, राम गए वनवास
सीता माता ने कहा, देव धर्म ही ख़ास
देव धर्म ही ख़ास, नहीं सीता सी नारी
मिला राम का साथ, सिया तो जनक दुलारी
कलयुग के तो राम, जनक को ठोकर मारे
होवे धन का मान, अधर्मी हो गए सारे



आओ राजा राम फिर, दिल की यही पुकार
आज देश में बढ़ गयी, लिंग भेद की मार
लिंग भेद की मार, दिलों में रावण जागा
कलयुग में तो आज, नार को कहे अभागा
अनाचार की मार, राज्य फिर अपना लाओ
रावण जाए हार, राम फिर वापिस आओ

-- शशि पुरवार
२२ अप्रैल २०१३

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