अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में मनोज जैन मधुर की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
इस नदी के घाट पर
एक देवी
कितना कठोर
महाराज विराजा
राधे राधे

गीतों में-
एक तू ही
करना होगा सृजन
कौन पढ़ेगा रे
चार दिन की जिंदगी
जिंदगी तुझको बुलाती है
गाँव जाने से
गीत नया मैं गाता हूँ
छोटी मोटी बातों मे
दिन पहाड़ से
दीप जलता रहे
नकली कवि
नदी के तीर वाले वट

बुन रही मकड़ी समय की
मन लगा महसूसने
रिश्ते नाते प्रीत के
लगे अस्मिता खोने
यह पथ मेरा चुना हुआ है
लौटकर आने लगे नवगीत
शोक-सभा का आयोजन
सगुन पाखी लौट आओ
सुबह हो रही है
हालात के मारे हुए हैं

संकलन में-
पिता की तस्वीर- चले गए बाबू जी

  एक देवी

एक देवी
अँजुरी भर जल समर्पित कर रही है
भावना के विविधवर्णी पुष्प अर्पित
कर रही है

हे दयानिधि
दीन दुनिया फूलती फलती रहे
हों सभी निर्भय, निरामय कामना पलती रहे
दीप श्रद्धा का तुम्हारी देहरी पर
धर रही है

सूर्य जल लो
नेह रींधा सजल यह धरती रहे
धान्य धन से, सम्पदा से सर्वदा भरती रहे
अर्घ्य दे उत्साह मन में नित्य नूतन
भर रही है

हों सुखी सब
देह धारी मन सभी के फूल हों
प्रार्थना को मान दे दो लाख चाहे भूल हों
माथ पर रजकण लगाकर चाँदनी-सी
झर रही है

१ जून २०२२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter