हालात के मारे
हुए हैं
हालात के
मारे हुए हैं लोग
दोष इतना भर कि तुमको
चुन लिया हमनें
जाल मकड़ी सा स्वयं ही
बुन लिया हमने
क्या कहें हम इसे घटना
या महज संजोग
जिंदगी का यह जुलाहा
दर्द बुनता है
वेदना तेरी कथा अब
कौन सुनता है
आस थी जिनसे हमें
साधे हुए हैं योग
दूर तक दिखता नहीं कुछ
है न कोई ठौर
दृश्य में जो दिख रहा पर
है कथानक और
एक दिन तो तोड़ना होगा
वहम का रोग
१ जुलाई २०१८
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