अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में मनोज जैन मधुर की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
गीत नया मैं गाता हूँ
छोटी मोटी बातों में
नकली कवि
नदी के तीर वाले वट

यह पथ मेरा चुना हुआ है
शोक-सभा का आयोजन

गीतों में-
दिन पहाड़ से
बुन रही मकड़ी समय की
मन लगा महसूसने
रिश्ते नाते प्रीत के
लगे अस्मिता खोने
लौटकर आने लगे नवगीत

संकलन में-
पिता की तस्वीर- चले गए बाबू जी

 

लगे अस्मिता खोने

लगे अस्मिता खोने अपनी
धीरे धीरे गाँव

राजपथों के सम्मोहन में पगडंडी उलझी
भूख गरीबी अबुझ पहेली कभी नहीं सुलझी
अनाचार के काले कौए उड़-उड़
करते काँव

राजनीति की बाँहें पकडीं घेर लिया है मंच
बँटवारा बन्दर सा करते मिलजुल कर सरपंच
पश्चिम का परवेश पसारे
अंगद जैसा पाँव

छोड़ जड़ों को, निठुर शहर की बातों में आते
लोकगीत को छोड़ गीतिका पश्चिम की गाते
सीख रही हैं गलियाँ चलना
शकुनी जैसे दाँव

दंश सोतिया झेल रहीं हैं बूढ़ी चौपालें
अपनी ही जड़ लगीं काटने बरगद की डालें
ढूँढ रही निर्वासित तुलसी
घर में थोड़ी छाँव

२५ फरवरी २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter