अनुभूति में
मनोज जैन मधुर की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
गीत नया मैं गाता हूँ
छोटी मोटी बातों में
नकली कवि
नदी के
तीर वाले वट
यह
पथ मेरा चुना हुआ है
शोक-सभा का
आयोजन
गीतों में-
दिन पहाड़ से
बुन रही मकड़ी समय की
मन लगा महसूसने
रिश्ते नाते प्रीत के
लगे अस्मिता
खोने
लौटकर आने लगे नवगीत
संकलन में-
पिता की तस्वीर-
चले गए बाबू जी
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यह पथ मेरा
चुना हुआ है
आँखों में सजती है मंज़िल
पग पग पर मिल रही दुआ है
यह पथ मेरा चुना हुआ है।
ढूँढ रहा हूँ मैं साखी को
कबिरा बाली परिपाटी को
जिन राहों में चला निराला
शीश लगाने उस माटी को।
सारी दुनिया लगे गीतमय
जब से मन ने छंद छुआ है
यह पथ मेरा चुना हुआ है।
लहर मिलेगी कूल मिलेंगे
सब रस्ते प्रतिकूल मिलेंगे
लीक छोड़कर चलने वाले
तुझको पग पग शूल मिलेगे
संघर्षों में राह बनाने वाला
मेरा मन अगुआ है।
यह पथ मेरा चुना हुआ है
सुख से रार ठनी है मेरी
दुःख से प्रीत घनी है मेरी
मैंने कब उजियारा माँगा
तम से राह बनी है मेरी
तनिक नहीं परवाह पंथ में
खाई है या अंध कुआँ है
यह पथ मेरा चुना हुआ है
मै दम लूँगा देश बदलकर
पूरा यह परिवेश बदलकर
खाल ओढ़ कर जो बैठे हैं
उनके नकली भेष बदलकर
रटे रटाये जुमले बोले
मेरा मन वह नहीं सुआ है
यह पथ मेरा चुना हुआ है।
२९ जून २०१५
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