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अनुभूति में मनोज जैन मधुर की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
गीत नया मैं गाता हूँ
छोटी मोटी बातों में
नकली कवि
नदी के तीर वाले वट

यह पथ मेरा चुना हुआ है
शोक-सभा का आयोजन

गीतों में-
दिन पहाड़ से
बुन रही मकड़ी समय की
मन लगा महसूसने
रिश्ते नाते प्रीत के
लगे अस्मिता खोने
लौटकर आने लगे नवगीत

संकलन में-
पिता की तस्वीर- चले गए बाबू जी

 

मन लगा महसूसने

हम जड़ों से कट गए

नेह के
वातास की हमने कलाई मोड़ दी
प्यार वाली छाँह हमने
गाँव में ही छोड़ दी
मन लगा महसूसने हम दो धड़ों में
बँट गए

डोर रिश्तों
की नए वातावरण सी हो गई
थामने वाली जमीं हमसे कहीं पर खो गई
भीड़ की खाता बही में खर्ज से हम
पट गए

खोखले
आदर्श के हमने मुकुट पहने
बेचकर खुद सभ्यता के कीमती गहने
कद भले चाहे बड़े हों पर वजन
में घट गए

२५ फरवरी २०१२

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