मन लगा महसूसने
हम जड़ों से कट गए
नेह के
वातास की हमने कलाई मोड़ दी
प्यार वाली छाँह हमने
गाँव में ही छोड़ दी
मन लगा महसूसने हम दो धड़ों में
बँट गए
डोर रिश्तों
की नए वातावरण सी हो गई
थामने वाली जमीं हमसे कहीं पर खो गई
भीड़ की खाता बही में खर्ज से हम
पट गए
खोखले
आदर्श के हमने मुकुट पहने
बेचकर खुद सभ्यता के कीमती गहने
कद भले चाहे बड़े हों पर वजन
में घट गए
२५ फरवरी
२०१२
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