| अनुभूति में 
					मनोज जैन मधुर की रचनाएँ- नयी रचनाओं में-गीत नया मैं गाता हूँ
 छोटी मोटी बातों में
 नकली कवि
 नदी के
						तीर वाले वट
 यह 
					पथ मेरा चुना हुआ है
 शोक-सभा का 
					आयोजन
 गीतों में-दिन पहाड़ से
 बुन रही मकड़ी समय की
 मन लगा महसूसने
 रिश्ते नाते प्रीत के
 लगे अस्मिता 
					खोने
 लौटकर आने लगे नवगीत
 संकलन में-पिता की तस्वीर-
					
					चले गए बाबू जी
 |  | छोटी मोटी 
					बातों में
 छोटी मोटी बातों में मत
 धीरज खोया कर।
 अपने सुख की चाहत में मत
 आँख भिगोया कर।
 
 काँटों बाली डगर मिली है
 तुझे विरासत में।
 छिपी हुईं है सुख की किरणें
 तेरे आगत में।
 देख यहाँ पर खाई पर्वत
 सब हैं दर्दीले।
 कदम कदम पर लोग मिलेंगे
 तुझको दर्पीले।
 
 कुण्ठाओं का बोझ न अपने
 मन पर ढोया कर।
 
 बेमानी की लाख दुहाई
 देंगे जग वाले।
 सुनने से पहले जड़ लेना
 कानो पर ताले।
 मुश्किल से दो चार मिलेंगे
 तुझको लाखों में।
 करुणा तुझे दिखाई देगी
 उनकी आँखों में।
 
 अपने दृग जल से तू उनके
 पग को धोया कर।
 
 कट जायेगी रात सवेरा
 निश्चित आएगा
 जो जितनी मेहनत करता
 फल उतना पायेगा।
 समय चुनौती देगा तुझको
 आगे बढ़ने की।
 तभी मिलेंगी नई दिशाएँ
 आगे बढ़ने की।
 
 मन के धागे में आशा के
 मोती पोया कर।
 
 बीज वपन कर मन में साहस
 धीरज दृढ़ता के।
 छट जायेंगे बादल मन से
 संशय जड़ता के।
 सब को सुख दे दुनिया आगे
 पीछे घूमेगी।
 मंज़िल तेरे खुद चरणों को
 आकर चूमेगी।
 
 कर्म मथानी से सपनों को
 रोज़ बिलोया कर।
 छोटी छोटी बातों में
 मत धीरज खोया कर।
 २९ जून २०१५ |