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अनुभूति में मनोज जैन मधुर की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
गीत नया मैं गाता हूँ
छोटी मोटी बातों में
नकली कवि
नदी के तीर वाले वट

यह पथ मेरा चुना हुआ है
शोक-सभा का आयोजन

गीतों में-
दिन पहाड़ से
बुन रही मकड़ी समय की
मन लगा महसूसने
रिश्ते नाते प्रीत के
लगे अस्मिता खोने
लौटकर आने लगे नवगीत

संकलन में-
पिता की तस्वीर- चले गए बाबू जी

 

दिन पहाड़ से

चुप्पी ओढ़े
रात खड़ी है, सन्नाटे दिन बुनता
हुआ यंत्रवत यहाँ आदमी नहीं किसी की सुनता
सबके पास समय का टोटा, किससे
अपना सुख दुख बाँटें


बात-बात में
टकराहट है कभी नहीं दिल मिलते
ताले जड़े हुए होठों पर हाँ ना में सर हिलते
पीढ़ीगत इस अंतराल की खाई को
अब कैसे पाटे!

पीर बदलते
हाल देखकर पढ़ने लगी पहाड़े
तोड़ रहा दम ढाई आखर उगने लगे अखाड़े
मन में उगे कुहासे गहरे इन बातों से
कैसे छाँटे!

२५ फरवरी २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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