चार दिन की
जिंदगी
चार दिन की जिंदगी लिख दी
तुम्हारे नाम
पी गए हमको समझ
तुम चार कश सिगरेट
आदमी हम आम
ठहरे बस यही है रेट
इस तरह दिन बीत जाता
घेर लेती शाम
चढ़ गए हमको समझ
मजबूत सा पाया
इस कुटिलता पर मुकुर
मन खूब हर्षाया
नियति तो अपनी रही
आना तुम्हारे काम
हम रहे प्यादे
कभी समझे गए असबाब
काँच की मानिंद
टूटे छन्न से सब ख़्वाब
इस तरह उपभोग तक
होते रहे नीलाम
पी गए हमको समझ
दो इंच की बीड़ी
बढ़ गये कुछ लोग कन्धों को
बना सीढ़ी
नामवर होना हमें था पर
रहे बेनाम
१ जुलाई २०१८
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