जिंदगी तुझको
बुलाती है
मुस्करा रे मन !
हैं अभी भी सौ बहाने
जिंदगी तुझको बुलाती है
आसमान की तरफ उठाकर हाथ
गिलहरी गायेगी ही
चिड़िया भी नन्हें बच्चों को
चुग्गा लेकर आएगी ही
अंधियारा चाहे कितने भी
अपने लम्बे पैर पसारे
नन्हीं किरणों के उजास से
मानवता मुस्कायेगी ही
गुन गुना रे मन!
हैं अभी भी सौ तराने हैं
जिंदगी तुझको बुलाती है
बदली घिरकर आसमान से
मीठा जल बरसाती तो है
मद में होकर मस्त टिटहरी
प्यारा गाना गाती तो है
क्षिति जल पावक गगन समीरन
ने तो रूप नहीं बदला है
फूलों का रस लेने तितली
बागों में भी जाती तो है
मान जा रे मन !
मीत आए हैं मनाने
जिंदगी तुझको बुलाती है
१ जुलाई २०१८
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