कौन पढ़ेगा रे
कवि ! तुझको कौन
पढ़ेगा रे!
बातें तू करता सोने-सी
पर करतूतें तो काली हैं
सम्मान बटोरे जो तूने
वे तो सब के सब जाली हैं
टूटी बैसाखी को लेकर
पर्वत पर मौन
चढ़ेगा रे
धन लगा खूब संग्रह छापे
हिट खूब किए विज्ञापन से
जिसने भी लिखा नहीं इन पर
वे उतर गए सारे मन से
अपनी असफलता का बतला
किस के सिर दोष
मढ़ेगा रे!
१ जुलाई २०१७
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