अनुभूति में
मनोज जैन मधुर की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
करना होगा सृजन
गाँव जाने से
छंदों का ककहरा
दीप जलता रहे
सुबह हो रही है
गीतों में-
गीत नया मैं गाता हूँ
छोटी मोटी बातों मे
दिन पहाड़ से
नकली कवि
नदी के
तीर वाले वट
बुन रही मकड़ी समय की
मन लगा महसूसने
रिश्ते नाते प्रीत के
लगे अस्मिता
खोने
यह
पथ मेरा चुना हुआ है
लौटकर आने लगे नवगीत
शोक-सभा का
आयोजन
संकलन में-
पिता की तस्वीर-
चले गए बाबू जी
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दीप जलता रहे
नेह के ताप से तम
पिघलता रहे
दीप जलता रहे
शीश पर सिंधुजा का
वरद हस्त हो
आसुरी शक्ति का
हौसला पस्त हो
लाभ-शुभ की घरों में
बहुलता रहे
दृष्टि में ज्ञान-विज्ञान
का वास हो
नैन में प्रीत का दर्श
उल्लास हो
चक्र, समृद्धि का नित्य
चलता रहे
धान्य-धन, सम्पदा
नित्य बढ़ती रहे
बेल यश की सदा
उर्ध्व चढ़ती रहे
हर्ष से, बल्लियों दिल
उछलता रहे
हर कुटी के लिए
एक संदीप हो
प्रज्ज्वलित प्रेम से
प्रेम का दीप हो
तोष नीरोगता की
प्रबलता रहे
१५ जुलाई २०१६ |