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अनुभूति में कल्पना रामानी की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
खुदा से खुशी की लहर
खुशबू से महकाओ मन
ज़रा सा मुस्कुराइये
बंजर जमीं पे बाग
यादें

कुंडलिया में-
नारी अब तो उड़ चली

नये गीतों में-
काले दिन
गुलमोहर की छाँव
चलो नवगीत गाएँ
धूप सखी
ये सीढ़ियाँ

अंजुमन में-
कभी तो दिन वो आएगा
कल जंगलों का मातम
जिसे पुरखों ने सौंपा था
देश को दाँव पर
मन पतंगों संग
वतन को जान हम जानें

गीतों में-
अनजन्मी बेटी
ऋतु बसंत आई

जंगल चीखा चली कुल्हाड़ी
नारी जहाँ सताई जाए
बेटी तुम

भ्रमण पथ

दोहों में-
इस अनजाने शहर में
शीत ऋतु

 

यादें

जब-जब नींद बुलाऊँ, चलकर आतीं यादें
करवट-करवट बिस्तर पर बिछ जातीं यादें

करूँ बंद यदि दिल-दिमाग के, द्वार खिड़कियाँ
खोल झरोखा मंद-मंद मूस्कातीं यादें

बन पाखी पंखों पर अपने बिठा प्यार से
उड़ अनंत में, पुर-युग याद दिलातीं यादें

चल-चल कर इनके पग शायद कभी न थकते
पर मथ-मथ मेरा मन खूब थकातीं यादें

कभी चुभातीं शूल, कभी फूलों की तरह से
रस-सुगंध भर हृदय-चमन महकातीं यादें

अगर रुलाई आ, कस ले अपने घेरे में
छेड़ गुदगुदी, खिल-खिल खूब हँसातीं यादें

उलझाकर उर, भूतकाल में जगा रात भर
भोर “कल्पना” नींद साथ ले जातीं यादें

२३ फरवरी २०१५
 


 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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