प्यार में आशना
प्यार में आशना कहाँ तक है।
आपका फलसफा कहाँ तक है।।
मेरे मालिक मुझे बता दो बस,
जुल्म की इंतहा कहाँ तक है।
हमको मंज़िल कभी नहीं मिलती,
देख लू रास्ता कहाँ तक हैं।
कोशिशे हम ज़रूर कर लेंगे,
बोलिये इल्तज़ा कहाँ तक है।
आगे वालों को ये कहाँ मालूम,
साथ का कफिला कहाँ तक हैं।
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