मौत की दहलीज़
मौत की दहलीज़ का इकरार है।
ज़िन्दगी को आँसुओं से प्यार है।।
क्यों सताते हो उसे बेकार में,
खुद ही वो मज़लूम है लाचार हैं।
मैं लडूँगा किस तरह से सोच लो,
इसके हाथों में बहुत हथियार है।
बन्द कमरे का तमाशा शौक है,
सड़क पर लुढ़का हुआ मयखार है।
दोस्ती की बात हमसे मत करो,
पीठ के पीछे छुपी तलवार है।
घुस गये डाकू सभी वर्दी में जब,
फिर भी कहते हो यहाँ सरकार हैं।
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