आदमी की भीड़ में
आदमी की भीड़ में मुझे आदमी की तलाश
है।
हमें मौत ने ठुकरा दिया अब ज़िन्दगी की तलाश है।।
कुछ मंज़िले दिखला सके कुछ रास्ते
बतला सके,
कहीं और हमको ले चलो हमें रोशनी की तलाश है।
वो सोचकर रोता रहा मैं देखकर रोता
रहा,
पूछते सपने मेरे क्या बेबसी की तलाश है।
ये जाने कैसा दौर है ये तू हैं या
कोई और है,
नाम उसका बता ना दे तुझे जिस किसी की तलाश है।
जब घर हमारे आयेगा फिर लौट कर ना
जायेगा,
कहीं आरजू ज़िन्दा मिले बस उस घड़ी की तलाश है।
|