मैं समझता ही रहा
मैं समझता ही रहा इंसान को।
लोग सजदा कर गए भगवान को।।
ज़िंदगी की दौड़ से मैं थक गया,
अब चलूँगा दोस्तो श्मशान को।
आखिरी पैगाम उसका ये मिला,
कब्र में दफना लो तुम अरमान को।
महफ़िलों ने घेर कर लूटा मुझे,
घर बुलाओ ना ज़रा वीरान को।
दूर तक चलना है पागल सोच लो,
छोड़ दो घर में सभी सामान को।
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