जिस जगह पर
जिस जगह पर हर तरफ़ परदा हुआ।
आदमी सचमुच वहाँ नंगा हुआ।।
क्या करोगे सोचकर पछ्ताओगे,
कभी तो होता नहीं सोचा हुआ।
अजनबी बनते रहो पर हमको तो,
लगता है चेहरा कहीं देखा हुआ।
वो बहुत कमज़ोर था लाचार था,
मर गया तो बुरा क्या अच्छा हुआ।
हँस रहा था आज जो हर बात पर,
खुद यहाँ आया था वो रोता हुआ
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