दिल में आग
दिल में आग लगी थी शायद।
उजली रात हुयी थी शायद।।
सुना है वो परदेश गया है,
छुटी किताबें पड़ी थी शायद।
आँखों ने बरसात करा दी,
घर की बात चली थी शायद।
फूल ने मारा फिर पत्थर को,
ऐसी हवा उड़ी थी शायद।
मयखानों में रिन्द नहीं हैं,
पलक तुम्हारी उठी थी शायद।
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