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तू भूख प्यास जुल्म
तू भूख, प्यास, जुल्म की न बात कर अभी
टेलीविजन पे ठहरी है मेरी नज़र अभी
फुर्सत मिले जहान के सुख से तो जानना
छोड़ो भी, क्या करोगे, मुझे जानकर अभी
साँसें बचा के रख, तू अभी इंतजार कर
दिन भर का कैश गिन रहा है डॉक्टर अभी
हैरत है, आप हँस रहे हैं, ऐसे हाल में
लगता है, कि हालात से हैं, बेखबर अभी
बस इसलिए कि जश्न में पड़ जाए न ख़लल
‘‘माँ चल बसी’’ ये दाब रखी है ख़बर अभी
मैं हूँ किताब, पढ़ना मुझे फिर कभी ‘‘समीप’’
इसका तू सिर्फ देख नया ये कवर अभी९
अप्रैल २०१२
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