अनुभूति में
हरे राम समीप की रचनाएँ
नई रचनाओं में-
अपनी मुहब्बत बनी रहे
क्या अजब दुनिया
क्या हुआ उपवन में
तू भूख, प्यास, जुल्म
सवाल काग़ज़ पर
अंजुमन में-
दावानल सोया है कोई
बदल गए हैं यहाँ
वेदना को शब्द
स्याह रातों में
हमको सोने की कलम
दोहे-
आएगी माँ आएगी
गर्व करें किस पर
प्रश्नोत्तर चलते रहे
छंदमुक्त में-
आस न छोड़ो
कविता भर ज़मीन
धीरज
पूजा
योगफल
शब्द
शोभा यात्रा
सड़क
सेल
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सवाल काग़ज़ पर
आए जब भी सवाल काग़ज़ पर
कह गए मेरा हाल काग़ज़ पर
बाढ़, सूखा, अकाल काग़ज़ पर
हम हुए मालामाल काग़ज़ पर
लाइनें थीं जहां मरीज़ों की
था वहां अस्पताल काग़ज़ पर
जिनका हर शब्द ठोस होता था
आज वे हैं निढाल काग़ज़ पर
कौन भीतर के अब तनावों की
रोक पाएगा चाल काग़ज़ पर
इतना कहना ‘समीपजी’ उनसे
भेज दें हालचाल काग़ज़ पर
९
अप्रैल २०१२
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