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अनुभूति में हरे राम समीप की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपनी मुहब्बत बनी रहे
क्या अजब दुनिया
क्या हुआ उपवन में
तू भूख, प्यास, जुल्म
सवाल काग़ज़ पर

अंजुमन में-
दावानल सोया है कोई
बदल गए हैं यहाँ
वेदना को शब्द
स्याह रातों में
हमको सोने की कलम

दोहे-
आएगी माँ आएगी
गर्व करें किस पर
प्रश्नोत्तर चलते रहे

छंदमुक्त में-
आस न छोड़ो
कविता भर ज़मीन
धीरज
पूजा
योगफल
शब्द
शोभा यात्रा
सड़क
सेल

  क्या हुआ उपवन में

क्या हुआ उपवन में, क्यों सारे शजर लड़ने लगे
आँधियाँ कैसी हैं, जो ये घर से घर लड़ने लगे

एक ही मंज़िल है उनकी, एक ही है रास्ता
क्या सबब फिर हमसफ़र से हमसफ़र लड़ने लगे

भ्रष्टता का बाँध यूँ तो एहतियातन ठीक था
किंतु जब टूटा कहीं से तो मगर लड़ने लगे

एक तो मौसम की साज़िश मेरे घर बढ़ती गई
फिर हवा यूँ तेज़ आई, बामोदर लड़ने लगे

मेरा साया तेरे साए से बड़ा होगा, इधर
बाग़ में इस बात पर दो गुलमुहर लड़ने लगे

एक ही ईश्वर है सबका और है सबके ‘‘समीप’’
बंदगी कैसी हो, बस इस बात पर लड़ने लगे

९ अप्रैल २०१२



 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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