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अनुभूति में हरे राम समीप की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपनी मुहब्बत बनी रहे
क्या अजब दुनिया
क्या हुआ उपवन में
तू भूख, प्यास, जुल्म
सवाल काग़ज़ पर

अंजुमन में-
दावानल सोया है कोई
बदल गए हैं यहाँ
वेदना को शब्द
स्याह रातों में
हमको सोने की कलम

दोहे-
आएगी माँ आएगी
गर्व करें किस पर
प्रश्नोत्तर चलते रहे

छंदमुक्त में-
आस न छोड़ो
कविता भर ज़मीन
धीरज
पूजा
योगफल
शब्द
शोभा यात्रा
सड़क
सेल

 

  कविता भर ज़मीन

इस समय तुम
कविता की हिफ़ाज़त करो

क्योंकि हर तरफ़ से
असहाय होते मनुष्य के पास
हाथ टेकने के लिए
अंतत रह जाएगी
बस यही
कविता भर ज़मीन

कविता भर ज़मीन
जितनी किसी टापू की
फुनगी पर
मिल जाती है गौरैया को
इत्मीनान से सुस्ताने के लिए जगह

कविता भर ज़मीन
जहाँ बचा रहेगा
अंतिम समय में
आत्मरक्षा के लिए
छुपाया गया अंतिम अस्त्र

कविता भर ज़मीन
जितनी मनुष्यता के ध्वज को
फहराने के लिए ज़रूरी है

इसलिए
कविता की हिफ़ाज़त करो
क्योंकि कविता
आत्मा की धड़कन है

१६ जुलाई २००७

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