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आस न छोड़ो
(१)
गर्व करें किस पर यहाँ, किस पर करें विमर्श
आधा है यह इंडिया, आधा भारतवर्ष
(२)
पानी ही पानी रहा, जिनके चारों ओर
प्यास-प्यास चिल्ला रहे, वहीं लोग पुरज़ोर
(३)
दुर्योधन-सा वक्त यह, बोल रहा अपशब्द
वहीं हमारे सूरमा, बैठे हैं नि:शब्द
(४)
ये आए या वो गए, सबने चूसा खून
कौन गड़रिया छोड़ता, किसी भेड़ पर ऊन
(५)
आज़ादी के नाम पर, करते नए प्रयोग
नई गुलामी की तरफ, भाग रहे हैं लोग
(६)
पुलिस पकड़ कर ले गई सिर्फ उसी को साथ
आग बुझाने में जले, जिसके दोनों हाथ
(७)
जनता इस जनतंत्र में बेबस और अनाथ
छोड़ दिया है जिल्द ने फिर किताब का साथ
(८)
भूख गरीबी की उसे, क्या होगी पहचान
महलों में पैदा हुआ, हर युग का भगवान
(९)
यारों इस बाजार का, अब है यही यथार्थ
रिश्ते पीछे रह गए, आगे निकला स्वार्थ
(१०)
ऐसी आई देश में, एक विदेशी बाढ़
डूब गई पहचान सब, बहे पुराने झाड़
२३ मार्च २००९ |