सड़क
जाने कहाँ बिलर गई है
सड़क
कहा तो यही गया था गाँव में
कि राजधानी से
चल पड़ी है सड़क
गाँव के लिए
अब जाने कहाँ बिलर गई है सड़क
क्या पता
आदेश के इंतज़ार में
सचिवालय में या
मंत्रालय में ही बैठी हो अब तक
क्या पता मंत्री–निवास पर
माँजने लगी हो बर्तन
क्या पता
सड़क वाले इंजीनियर के यहाँ
भरने लगी हो पानी
ये सड़क के ठेकेदार भी
कम थोड़े ही होते हैं
क्या पता सड़क को
दबाने पड़ रहे हों
वहाँ उनके पाँव
अब आएगी
तभी तो पता चलेगा न
कि
कहाँ बिलर गई थी सड़क
इतने बरस!
१६ जुलाई २००७
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