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अनुभूति में हरे राम समीप की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपनी मुहब्बत बनी रहे
क्या अजब दुनिया
क्या हुआ उपवन में
तू भूख, प्यास, जुल्म
सवाल काग़ज़ पर

अंजुमन में-
दावानल सोया है कोई
बदल गए हैं यहाँ
वेदना को शब्द
स्याह रातों में
हमको सोने की कलम

दोहे-
आएगी माँ आएगी
गर्व करें किस पर
प्रश्नोत्तर चलते रहे

छंदमुक्त में-
आस न छोड़ो
कविता भर ज़मीन
धीरज
पूजा
योगफल
शब्द
शोभा यात्रा
सड़क
सेल

 

 

हाइकु

सृजन-क्षण
चाक पे रक्खे
गीली मिट्टी, सोचूँ मैं
गढूँ आज क्या


दुख बहुरूपिया

नये स्वाँग में
दुख बहुरूपिया
रोज आ जाए

प्रार्थना
हे प्रभु आज
मेरे घर फाँके हैं
कोई न आए

दोहरा व्यक्तित्व
झूठी हँसी से
उसके चेहरे की
खुली तुर्पन

स्त्रीमन
भरा गोदाम
प्रश्नों की बोरियों के
रद्दे जहाँ हैं

आखिर क्यों
छटपटाए
दर्द के पिंजरे में
आज भी स्त्री

थैले में हिमालय
गर्मी में छोटू
बस में बेच रहा
पानी-पाऊच

विडम्बना
अदालत में
सत्य व असत्य
कठपुतली

फारेन जाब
रोज हो रहे
हमारी खदानों के
हीरे निर्यात

पतन
संस्कृति का
पिंडदान करता
ये वर्तमान

१९ अक्तूबर २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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