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अनुभूति में शरद तैलंग की रचनाएँ

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जब दिलों में
जो अलमारी में
तलवारें
दिल के छालों
पत्थरों का अहसान
पुराने आईने में
फना जब भी
मेरा साया मुझे
मंज़ूर न था
यारी जो समंदर को
लड़कपन के दिन
समंदर की निशानी

गीतों में
मनवीणा के तार बजे
मेरी ओर निहारो
सीढ़ियाँ दर सीढ़ियाँ

  लड़कपन के दिन

उन हसीं लमहों को फिर आबाद करना
तुम लड़कपन के कभी दिन याद करना।
लौट आएँ फिर से वो गुज़रे ज़माने
तुम ख़ुदा से बस यही फ़रियाद करना।

दिल तुम्हारा भी गगन में उड़ चलेगा
कैद से पंछी कोई आज़ाद करना।

नाखुदा के ही भरोसे पर न रहना
तुम खुदा को भी सफ़र में याद करना।

वक्त जो हमको मिला फिर ना मिलेगा
बेवजह ही मत इसे बरबाद करना।

दिल को अपने मोम की मानिंद रखना
हौसले को तुम 'शरद' फ़ौलाद करना।

1 नवंबर 2006

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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