इस ज़मीं पर
इस ज़मीं पर जब कहीं न
प्यार पाया
उन परिंदों के तभी आकाश भाया
आदमी को आदमी समझो
अगर तुम
फिर लगेगा ना तुम्हें कोई पराया
गर्दिशों में भी
कभी ना साथ छोड़ो
ये सबक इनसान को दे उसका साया
इसलिए पैरों तले रौंदा गया वो
रौब तारों पर था चंदा ने जमाया
एक कोने में पड़ा है बाप बूढ़ा
क्यों कि घर का मिल रहा अच्छा किराया
जब शरद का नाम आया खुश हुए सब
जिंदगी में बस यही उसने कमाया
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