जब दिलों में
जब दिलों में प्यार का मंजर
बनेगा
देखना उस दिन खुदा का घर बनेगा।
आज शर्मिंदा है ये कहते हुए माँ
मेरा बेटा एक दिन अफ़सर बनेगा
बन गया लीडर वो अपने मुल्क का
कुंडली में था कि वो तस्कर बनेगा
बाप ने भी साँस ले ली आखीरी
फूल सा भाई भी अब नश्तर बनेगा
है यकीं इक दिन खुदा देगा मुझे
भी
पर न जाने कब मेरा छप्पर बनेगा
लग गई फिर आग कच्ची बस्तियों
में
सुन रहे इक सेठ का दफ़्तर बनेगा
अब भटकने का शरद को डर नहीं है
उसका रहबर मील का पत्थर बनेगा
1 जनवरी 2005
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