सुबह,
पहाड़ पर
मेरी बंद मुठि्ठयों में कैद
था एक पूरा दिन
सूर्य की पहली नज़र से
चाँद की पहली नज़र तक
पहाड़ की वादियाँ खुशबू से
भारी होती हैं
ऐसा सुना था
खोजा
तो पाया
हथेलियों पर फूलों की खुशबू,
आँखों में कैद पाया
पिघलता सोना
बर्फ ढकीं चोटियों पर,
और
चाय की भाप उड़ाती चुस्कियों का स्वाद
थोड़ा कसा, कुछ गर्म
मेरी मुठ्ठी खुल गई थी
दिन बिखर गया था
सुख के हजार कणों में
वाकई पहाड़ की वादियाँ खुशबू से भारी होती हैं |