मोनालिसा
एक खुशबू का दायरा मेरे
चारों ओर है
भूली बिसरी पुरानी चिठ्ठी से यादों की
महक, सोंधी-सी फैल जाए जैसे
किताबों के बीच रखी कई साल
पहले की
सूखी पंखुड़ियों से कोई याद ताज़ा
हो जाए जैसे
मन बार बार पीछे क्यों भागे
कभी हिरण की कुलांचे
कभी धीमे-धीमे एक पग और एक पग
एक थाप उँगलियों से ऐसे
कि सुना अनसुना हो जाए
कोई संगीत बज जाए और मन
नृत्यरत हो जाए
बाहर से शांत, सौम्य, मोनालिसा-सी मुस्कुराहट
पर अंदर ही अंदर झूमताल बार-बार |