अनुभूति में
प्रत्यक्षा की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
इच्छा
एक ख़ामोश चुप लड़की
कोई शब्द नहीं
छुअन
तांडव
दो छोटी कविताएँ
प्रतिध्वनि
पीले झरते पत्तों पर
मल्लिकार्जुन मंसूर
माँ
मेरी छत
मोनालिसा
मौन
की भाषा
याद
रात पहाड़ पर
लाल बिंदी
सुबह पहाड़ पर
संकलन में-
दिये जलाओ-
लाल सूरज हँसता है
प्रणय गीत
दीपावली
मौसम-
मौसम
गुलमोहर-
गुलमोहर: तीन दृश्य |
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दो छोटी कविताएँ
क्यों
रात की उँगलियाँ आँखों
पे फिरोता था क्यों
चाँद पानी के सतह पर
तैरता था क्यों
वो हसीन ख्वाब आँखों
में सोता था क्यों
जो तस्वीर सचमुच कहीं
भी नहीं
उसकी याद में शब भरा
रोता था क्यों?
इसलिए
जो जागे थे तुम
तो मीत भी जागा हुआ था
स्वप्न नयनों की झालर परे
हँसता इठलाता हुआ था
तस्वीर और हकीकत में दूरी कहाँ
रंग तेरा हर एक ओर छाया हुआ था
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