अनुभूति में
प्रत्यक्षा की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
इच्छा
एक ख़ामोश चुप लड़की
कोई शब्द नहीं
छुअन
तांडव
दो छोटी कविताएँ
प्रतिध्वनि
पीले झरते पत्तों पर
मल्लिकार्जुन मंसूर
माँ
मेरी छत
मोनालिसा
मौन
की भाषा
याद
रात पहाड़ पर
लाल बिंदी
सुबह पहाड़ पर
संकलन में-
दिये जलाओ-
लाल सूरज हँसता है
प्रणय गीत
दीपावली
मौसम-
मौसम
गुलमोहर-
गुलमोहर: तीन दृश्य |
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कोई शब्द
नहीं
बात तुमसे कहने के लिए
मैं खोलती हूँ शब्दों के पिटारे
पर उड़ जाते हैं कभी
तितली बन कर
एक फूल से
फूल दूसरे
और कभी हाथ आई
मछलियों की तरह
फिसल जाते हैं
गिरफ़्त से
तुम ही कहो
मैं क्या करूँ
तुम तक पहुँचाने को
पास मेरे अब
कोई शब्द नहीं |