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अनुभूति में प्रत्यक्षा की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
इच्छा
एक ख़ामोश चुप लड़की
कोई शब्द नहीं
छुअन
तांडव
दो छोटी कविताएँ
प्रतिध्वनि
पीले झरते पत्तों पर
मल्लिकार्जुन मंसूर
माँ
मेरी छत
मोनालिसा

मौन की भाषा
याद
रात पहाड़ पर
लाल बिंदी
सुबह पहाड़ पर

संकलन में-
दिये जलाओ- लाल सूरज हँसता है
प्रणय गीत

दीपावली
मौसम- मौसम
गुलमोहर- गुलमोहर: तीन दृश्य

रात, पहाड़ पर

टिमटिमाती रौशनी, चीखती हवा
श्वेत श्याम च्रित्र की तरह बिखरा था
वादियों का सन्नाटा

सुबह की रौशनी, धूप की चमक
फूलों की बहार
किसने छुपा दी है

रात का सर्द अंधकार
दबे पाँव कब कमरे में
घुस आया था

मेरी हड्डियाँ कंपकंपा गई थी
ठंड से
या फिर डर से
सुबह सच था
या ये रात सच है
मैंने चुपचाप आँखें बंद कर ली थी
ठंड की चादर कस कर लपेट ली थी
सुबह के इंतजार में

 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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